Wednesday, January 25, 2023

मौसम पूर्वानुमान का कृषि कार्य में महत्‍व

 

मौसम पूर्वानुमान का कृषि कार्य में महत्‍व

 

मौसम किसी स्‍थान विशेष के किसी खास समय पर वातावरण के भौतिक दशा के बदलते स्‍वरूप का परिचायक है। मौसम एवं कृषि का सहसंबंध अतिघनिष्‍ठ होने के कारण बदलते मौसम का प्रभाव फसल की बुवाई से लेकर इसके कटाई एंव भंड़ारण प्रबंध के साथ ही साथ बुवाई से पूर्व कृषि कार्यो योजना बनाने में भी होता है। फसल पैदावार तथा मौसम आंकड़ो के विश्लेषण से ज्ञात हुआ है कि कम से कम 50 प्रतिशत फसल पैदावार की परिवर्तनशीलता मौसम से संबंधित है। यदि किसानों को सही(वास्तविक) समय पर सटीक मौसम पूर्वानुमान आधारित फसल प्रबंघन के उपाय बताये जाय तो कृषि कार्यों में समायोजन करके मौसम से होनेवाले नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता हैंमौसम जो कि फसल उत्‍पादन का एक महत्‍वपूर्ण कारक है तथा इसके बदलाव से फसल उत्‍पादन प्रभावित होती रहती है। मौसम को उपयोग कृषि कार्य के योजना निर्धारण तथा इसके दिन प्रतिदिन के प्रबंध में अति महत्‍वपूर्ण योगदान है इसी के कारण मौसम विज्ञान को कृषि अनुसंधान में महत्‍वपूर्ण कारक माना जाता है।

मौसम पूर्वानुमान

आने वाले मौसम का पहले ही से अनुमान लगाने की विधा को मौसम पूर्वानुमान कहते है। हम वर्तमान मौसम के बारे में प्राप्‍त जानकारी (एकत्रित आंकड़ो) तथा भूतकाल मे हुए मौसम बदलाव की रूपरेखा से ही भविष्‍य के मौसम की जानकारी ज्ञात करते है। इस प्रक्रिया को ही मौसम पूर्वानुमान कहते है। 

मौसम पूर्वानुमान किसान भाईयों को उपयुक्त कृषि कार्यों को करने के लिए अवसर प्रदान करता है जो काफी लाभदायक रहता है। विभिन्‍न प्रकार के कृषि कार्यो के प्रबंध तथा योजना निर्धारण के लिए विभिन्‍न समयावधि का मौसम पूर्वानुमान की आवष्‍यकता होती है; जो कुछ घण्‍टो से लेकर महीनो तक एक ऋतु तक हो सकता है।

भारत में कृषि या फसल उत्पादन मौसम की अनियमितता से अत्यधिक प्रभावित होता रहता है जैसे- मानसून के आगमन में देरी, असामयिक या अत्यधिक बर्षा, सूखा, उच्च या निम्न तापमान इत्यादि ।  मौसम की भविष्यवाणी का उपयोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जाता है जैसे - क़ृषि कार्यों, विमानन, नौवहन, मत्स्य पालन, बाढ़, चक्रवात चेतावनी और आम जनता के लिए

मौसम पूर्वानुमान कितने प्रकार का होता है?

मौसम पूर्वानुमान कुछ घण्‍टों से लेकर महीना, ऋतु (पुरे फसल मौसम तक) का होता है। मौसम पूर्वानुमान का वर्गीकरण इसकी वैधता अवधि के आधार किया जाता है मुख्‍यतः इसे तीन प्रकार से बांटा गया है।

1       अल्‍पावधि मौसम पूर्वानुमान

2       मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान

3       दीर्घअवधि मौसम पूर्वानुमान

 

1       अल्‍पावधि मौसम पूर्वानुमान   :- इस प्रकार के मौसम पूर्वानुमान कुछ घण्‍टों से लेकर 3 दिनों तक का होता है। इस मौसम पूर्वानुमान में वर्तमान मौसम की स्‍थिति तथा इससे अगले दो से तीन दिनो तक मौसम स्‍थिति का पता चलता है। इस भविष्‍यवाणी में सिनोपिटिक चित्रों तथा कम्‍प्‍यूटर द्वारा मौसम माण्‍डलों का उपयोग किया जाता है; साथ ही साथ उपग्रह से प्राप्‍त तापमान तथा वायुदाब के परिवर्तन तथा वर्षा एवं इसके वितरण की जानकारी की भी सहायता ली जाती है। किसानो को अपने फसल प्रबंध में इस मौसम पूर्वानुमान के द्वारा कृषि कार्य करने में सहायता मिलती है जिसमें मुख्यतः दवाओ की छिड़काव से लेकर सिंचाई तक का प्रबंधन सम्‍मिलित होता है।

2 मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान :-      इस मौसम पूर्वानुमान में मौसम माडलों को कम्‍प्‍यूटर के माध्‍यम से अनुरूपित किया जाता है तथा इससे आने वाले 3-10 दिनों तक की मौसम की जानकारियॉ प्राप्‍त होती है। इस मौसम पूर्वानुमान विधि में भौतिक तथा तरल गति विज्ञान के प्रमुख्य नियमो का उपयोगी किया जाता है।

मौसम तत्‍वो की भविष्‍यवाणी जिसमें मौसम तत्‍वों के अंकिये भविष्‍यवाणी पर जोर (emphasis) दिया जाता है इसमें वर्षा की मात्रा एवं समय, तापमान में बदलाव, हवा की गति एवं दिशा आदि मुख्य कारक होते है।

3 दीघावधि मौसम पूर्वानुमान:- इसमें मौसम का पूर्वानुमान 10 दिनों से अधिक से लेकर एक ऋतु तक मौसम पूर्वानुमान हो सकता है। इस पूर्वानुमान के अंतर्गत ही प्रत्येक वर्ष अप्रैल तथा जून में मानसून की भविष्‍यवाणी पूर्वानुमान किया जाता है। इस पूर्वानुमान में सांख्‍यिकीय विधि का प्रयोग किया जाता है।

दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान मे मौसम तत्‍वो मुख्‍यतः वर्षा, तापमान का सामान्‍य से संभावित विचलन ही बताया जाता है भारत मे इस विधि से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारत मे ग्रीष्‍मकालीन मानसून तथा शीतकालीन मानसून की भविष्‍यवाणी की जाती है।

 

मौसम पूर्वानुमान कैसे किया जाता है?

         मौसम पूर्वानुमान का मुख्‍य आधार होता है वर्तमान मौसम की सटीक तथा विस्तृत जानकारी की उपलभता होती है; जिससे वर्तमान समय में वायुमंडल की दशा तथा इसमें होने वाली विभिन्‍न मौसम तंत्रों का सही आंकलन किया जा सके। वर्तमान मौसम से ही आने वाले मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इससे सपस्ट होता है कि जितना ही सटीक वर्तमान मौसम का आंकलन होता है उतना ही सटीक मौसम का पूर्वानुमान होता है अर्थात्‌ वर्तमान मौसम की शुरूवाती जानकारी को ही यदि अधिक समय के लिए ज्ञात कर लिया जाये तो इससे आने वाले मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। विभिन्‍न समयावधि के मौसम भविष्‍यवाणी- इन विधियो मे से किसी एक विधि या एक से अधिक विधियो के मिश्रण से किया जाता है। सिनोप्‍टिक तथा सांख्‍यिकी विधियो में विभिन्‍न वातावरण के विकरण से संबंधित तत्‍वों का विश्लेषण किया जाता है। जबकि अंकीय विधि में सभी संभव कारकों जिसमे भौतकीय, गतिकीय आदि कारक भी सम्‍मिलित रहते हैं। अंकीय विधि के द्वारा मौसम भविष्‍यवाणी मे मुख्‍यतः कम्‍प्‍यूटर आधारित विष्‍लेषण भी किया जाता है जिसके गणना के आधार पर आने वाले मौसम की भविष्‍यवाणी की जाती है।

मौसम भविष्‍यवाणी की मुख्‍यतः तीन विधियॉ है

1       सिनोप्‍टिक विधि     -जिसे परम्‍परागत मौसम भविष्‍यवाणी भी कहा जाता है।

2       सॉख्‍यिकी विधि

3       अंकीय विधि

 

सिनोप्‍टिक विधि : इस भविष्‍यवाणी में सिनोपिटिक चित्रों तथा जलवायु कम्‍प्‍यूटर द्वारा मौसम माण्‍डलों का उपयोग किया जाता है; साथ ही साथ उपग्रह से प्राप्‍त तापमान तथा वायुदाब के परिवर्तन तथा वर्षा एवं इसके वितरण की जानकारी की भी सहायता ली जाती है।

सॉख्‍यिकी विधि : इसमें विश्व के मौसमी तत्वों का भारतीय मानसून की बर्षा से सम्बन्ध स्थापित करके इनके सहसंबंध का विश्लेषण किया जाता है; तथा अति महत्‍ववाले मौसम तत्‍वों के सहायता से समीकरण तैयार कर लिया जाता है इस समीकरण के गुणकों की गणना कर ली जाती है। इन मौसमी तत्वों के वर्तमान मान को पता करके मानसूनी बर्षा का अनुमान लगाया जाता है। सांख्‍यिकी विधि से ही भारत के मानसून वर्षा का पूर्वानुमान सबडिवीजन के स्‍तर पर प्रत्येक बर्ष किया जाता है।

अंकीय विधि : इस मौसम पूर्वानुमान विधि का आधार भौतिक तथा तरल गति विज्ञान के प्रमुख्य नियमो का उपयोगी किया जाता है। इसमें यह माना जाता है कि चूंकि वातावरण का निर्माण गैस तथा जलवाष्‍प से होता है तो इसमे द्रव्‍य उर्जा के संरक्षण के सिद्धांत जिस तरह से तरल भौतिकीय विज्ञान में लागू होता है उसी तरह वातावरण में भी लागू होता है। परंतु चूंकि इन नियमों के लागू करने वाले सभी कारणों का गणितीय विधि के द्वारा प्रत्‍यक्ष रूप से हल नहीं निकाला जा सकता है। अतः इसके हल करने हेतु मौसम माडलों द्वारा छोटे-छोटे अंतराल के समय पर इनका निरुपण करके अंतिम समय का मौसम पूर्वानुमान निकाला जाता है। चूंकि इस विधि में लाखों आंकड़ों की करोड़ों बार गणना करनी होती है। अतः सबसे तेज तथा अधिक स्‍मृति क्षमता की कम्‍प्‍यूटर की आवष्‍यकता होती है। जिसे सुपर कम्‍प्‍यूटर कहा जाता है। भारत मे भी मध्‍यावधि मौसम पूर्वानुमान करने हेतु सुपर कम्‍प्‍यूटर का प्रयोग किया जाता है। जो क्रे ग्रुप का है।सुपर कम्‍प्‍यूटर से प्राप्‍त मौसम पूर्वानुमान तथा सांख्‍यिकी विधि से प्राप्‍त पूर्वानुमान को अंत मे स्‍थान विष्‍ोष के मौसमी आंकड़ो के साथ जोड़कर उस स्थान हेतु अंतिम पूर्वानुमान देते है। इस विधि में कम्‍प्‍यूटर के साथ साथ आदमी का विषय ज्ञान के अलावा स्‍थान विशेष की भौगोलिक ज्ञान की आवश्कता होती है।

 

मौसम पूर्वानुमान का कृषि कार्य में उपयोग होता है।

     भारत में फसल उत्‍पादन मे मौसम परिवर्तन से होने वाली हानियॉ काफी होती है। प्रत्‍येक वर्ष देश के किसी भाग मे बाढ़ से तो किसी मे सूखे के कारण फसल उत्‍पादन प्रभावित होते रहती है। इसी प्रकार किसी ऋतु में देश के किसी भाग में किसी विशेष कीट व्‍याधियों का आक्रमण अधिक होता है तो कहीं दूसरे ऋतु में दूसरे कीटव्‍याधियों सक्रियता बढ़ने के कारण फसल उत्‍पादन प्रभावित होता रहता है ऐसा अनुमान के अनुसार देश में मौसम से होने वाली हानि कुल उत्‍पादन का एक चौथाई तक हो सकता है। मौसम की भविष्‍यवाणी का महत्वपूर्ण उद्देश्य किसानों को समय-समय पर सलाह प्रदान करना होता है ताकि किसान भाई इससे होनेवाले लाभ को ले सके तथा हानि को कम कर सकें । मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान का कृषि कार्य मे इस प्रकार के मौसम पूर्वानुमान की सबसे अधिक उपयोगिता है क्‍योकि इसमे किसानो को मौसमानुसार कार्य करने हेतु 2 से 4 दिनों तक का समय रहता है। इस मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान की उपयोगिता फसल पर हो रहे मौसम मे विपरीत या बुरे प्रभाव को खत्‍म करने तथा दैनिक पूर्वानुमान कृषि कार्यां को पुनः समयोजित करने मे काफी महत्‍वपूर्ण है।

दीघावधि मौसम पूर्वानुमान  :- इसमें मौसम का पूर्वानुमान 10 दिनों से अधिक का होता है या तो एक ऋतु तक मौसम पूर्वानुमान हो सकता है। जैसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा प्रत्‍येक वर्ष अप्रैल तथा जून में मानसून की भविष्‍यवाणी पूर्वानुमान किया जाता है। इसका उपयोग किसान भाई अपने कृषि हेतु प्रयोग किये जानेवाले कारकों के प्रबंधंन में कर सकते है, जैसे फसलों व इनके प्रजातियों का चुनाव, खाद की व्यवस्था इत्यादि।

भारत में कौन से संस्थान मौसम पूर्वानुमान के कार्य में संलग्न है।

मौसमी आंकड़े एकत्रित करने के लिए भारत सरकार ने एक भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्‍थापना की है। जिसके द्वारा पूरे देश का दिन प्रतिदिन के मौसमी आंकड़ो को एकत्रित किया जाता है साथ ही साथ इनका संरक्षण एवं विश्लेषण से लेकर विभिन्‍न प्रकार के मौसम पूर्वानुमान भी यही विभाग करता है।

मौसम पूर्वानुमान कितने दिनों का होता है?

यदि हमे आने वाले मौसम का अनुमान पहले से ही पता हो तब हम आने वाले मौसम के अनुसार कृषि कार्यो मे परिवर्तन कर उसे मौसमानुसार समायोजित कर सकते है। विभिन्‍न क्षेत्र के फसलों उत्‍पादन में होने वाले हानियो को मौसम पूर्वानुमान के द्वारा कम किया जा सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा एकीकृत कृषि मौसम परामर्श सेवाऍ की स्थापना की गई है।

एकीकृत कृषि मौसम परामर्श सेवाऍ :-     दिन प्रतिदिन की कृषि कार्य मौसम के प्रति संवेदनशील होते है जिसके कारण मौसम पूर्वानुमान की आवश्कता होती है। इसको ध्‍यान में रखकर भारत सरकार ने 1986 मे एक परियोजना की शुरूवात की गयी जिसे कृषि मौसम सलाह सेवाऍ के नाम से जाना जाता है। जून 2008 से भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा इसे परियोजना का विस्तार कर जिला स्तर पर मौसम पूर्वानुमान दिया जाने लगा तथा इसका पुनः नामकरण एकीकृत कृषि मौसम परामर्श सेवाऍ कर दिया गाया। वर्तमान में 5 दिनों का मौसम पूर्वानुमान 604 जिलों के लिए किया जाता है।            

मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान का किसान अपने कृषि कार्य में कैसे उपयोग कर सकते है तथा इसकी उपलब्धता कैसे हो सकती है।

मौसम के तत्‍व जो कृषि कार्य तथा फसल प्रबंधो को प्रमाणित करते है। इसके लिए हमे विभिन्‍न प्रकार की मौसम पूर्वानुमान की आवश्कता है परंतु यह एक कटु सत्‍य है कि मौसम पूर्वानुमान की अवधि में वृद्धि होते ही इसकी उपयोगिता तथा सटीकता घटने लगती है। मौसम पूर्वानुमान की अवधि बढ़ने से इसकी सटीकता कम होती है तथा क्षेत्रफल कम होने से भी इसका उपयोगिता घट जाती है। अतः किसान भाईयों को मध्‍यावधि मौसम पूर्वानुमान आधारित साप्‍ताहिक कृषि कार्य के आधार पर पूर्व निर्धारित कार्यों को समायोजित कर मौसम से होनेवाले हानियों से भी बचा जा सकता साथ ही साथ अपने लागत को भी कम कर सकते है।

उदाहरण के लिए, बर्षा का अनुमान सिंचाई तथा दवाओं के छिड़काव को प्रभावित कर सकते है,  शुष्क का अनुमान मौसम फसल उत्पाद सुखाने में सहायक हो सकते है,  सुखे तथा अधिक तापमान वाले मौसम का अनुमान गेहूं  और सोयाबीन फसलों को बर्बाद होने से बचा सकते हैं

किसानों को दिया जाने वाला मौसम आधारित कृषि कार्य का बुलेटिन में  किस तरह की जानकारी रहती है तथा इसे किसानों तक कैसे पहुँचाया जाता है?

            मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान में 5 दिनों तक विभिन्न मौसम चरों के साथ ही साथ बर्षा का साप्ताहिक योग की जानकारी भी दी जाती है, जिसके आधार पर ही किसान भाईयों को मौसम   आधारित साप्ताहिक कृषि परामर्श दिया जाता है। इसके अंतर्गत सप्ताह में दो बार (प्रत्येक मंगलवार तथा शुक्रवार को) एक बुलेटिन बनाया जाता है जिसमें फसलों की अवस्था, 5 दिनों का मौसम पूर्वानुमान   मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि कार्यों जैसे  कीट और रोगों की सक्रियता, बुआई, सिंचाई, दवाओं का छिड़काव  और  इसका पशु, बकरियां और मुर्गियां प्रभाव का विवरण होता है। 

एकीकृत कृषि मौसम सलाह सेवाऍ केन्‍द्र से किसानो के लिए सप्ताह में दो बार कृषि मौसम कार्य हेतु बुलेटिन प्रकाषित किया जाता जो इस क्षेत्र के स्‍थानीय समाचार पत्रों, आकाशवाणी और दूरदर्शन, इंटरनेट, तथा मोबाइल संदेश द्वारा किसान तक पहुँचाया जाता है जिसमें उस क्षेत्र के प्रमुख फसलों के वर्तमान स्‍थिति के साथ-साथ 5 दिनो के दौरान होने वाले कृषि कार्य जो मौसम पूर्वानुमान को ध्‍यान मे रखकर बनाया जाता है। किसान अपने कृषि जलवायु क्षेत्र में स्‍थित कृषि मौसम सलाह सेवा केन्‍द्र से मौसम संबंधित जानकारी के साथ-साथ मौसम आधारित कृषि कार्य की जानकारी ले सकते है। मध्‍य प्रदेश में 9 कृषि जलवायु क्षेत्र है जिसमे प्रत्‍येक कृषि जलवायु क्षेत्र में एक कृषि मौसम सलाह सेवाऐ केंद्र है। जैसे बुन्देलखण्ड़ कृषि जलवायु क्षेत्र (जिसमें टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया जिले) के लिए कृषि महाविद्यालय टीकमगढ़ में एक केंद्र स्थित है। किसान भाई इन केंद्रो के नोडल अधिकारी से सम्‍पर्क कर मौसम पूर्वानुमान के साथ इसपर आधारित दिन प्रतिदिन होने वाले कृषि कार्य के बारें में जानकारी प्राप्‍त कर इनका उपयोग अपने कृषि कार्य में कर सकते है। यह सेवा भारत सरकार द्वारा निशुल्‍क दिया जाता है।

मौसम चेतावनी क्या होता है तथा इसे आम लोगो तक कैसे पहुँचाया जाता है?

         मौसम चेतावनी अति महत्वपूर्ण प्रकार का मौसम पूर्वानुमान होता है जिसका उपयोग मानव जीवन तथा इसके संपति को अचानक आनेवाले उग्र मौसमी हलचलों से बचाना होता है। जैसे चक्रवात,बाढ़ ,तेज हवा, पाला, ओला पड़ना, घना कुहरा आदि का पूर्वानुमान। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा इस तरह का मौसम पूर्वानुमान किया जाता है तथा इसे समाचार पत्रों, आकाशवाणी और दूरदर्शन, तथा इंटरनेट के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जाता है साथ ही साथ प्रभावित होनेवाले क्षेत्र के राज्य सरकार को भी मौसम चेतावनी  दी जाती है जिससे सरकार लोगों की मदद कर सके।

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