Sunday, June 28, 2015

मौसम पूर्वानुमान कितने प्रकार का होता है?



मौसम पूर्वानुमान कुछ घण्‍टों से लेकर महीना, ऋतु (पुरे फसल मौसम तक) का होता है। मौसम पूर्वानुमान का वर्गीकरण इसकी वैधता अवधि के आधार किया जाता है मुख्‍यतः इसे तीन प्रकार से बांटा गया है।

1 अल्‍पावधि मौसम पूर्वानुमान

2 मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान

3 दीर्घअवधि मौसम पूर्वानुमान



1 अल्‍पावधि मौसम पूर्वानुमान :- इस प्रकार के मौसम पूर्वानुमान कुछ घण्‍टों से लेकर 3 दिनों तक का होता है। इस मौसम पूर्वानुमान में वर्तमान मौसम की स्‍थिति तथा इससे अगले दो से तीन दिनो तक मौसम स्‍थिति का पता चलता है। इस भविष्‍यवाणी में सिनोपिटिक चित्रों तथा कम्‍प्‍यूटर द्वारा मौसम माण्‍डलों का उपयोग किया जाता है; साथ ही साथ उपग्रह से प्राप्‍त तापमान तथा वायुदाब के परिवर्तन तथा वर्षा एवं इसके वितरण की जानकारी की भी सहायता ली जाती है। किसानो को अपने फसल प्रबंध में इस मौसम पूर्वानुमान के द्वारा कृषि कार्य करने में सहायता मिलती है जिसमें मुख्यतः दवाओ की छिड़काव से लेकर सिंचाई तक का प्रबंधन सम्‍मिलित होता है।

2 मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान :- इस मौसम पूर्वानुमान में मौसम माडलों को कम्‍प्‍यूटर के माध्‍यम से अनुरूपित किया जाता है तथा इससे आने वाले 3-10 दिनों तक की मौसम की जानकारियॉ प्राप्‍त होती है। इस मौसम पूर्वानुमान विधि में भौतिक तथा तरल गति विज्ञान के प्रमुख्य नियमो का उपयोगी किया जाता है।

मौसम तत्‍वो की भविष्‍यवाणी जिसमें मौसम तत्‍वों के अंकिये भविष्‍यवाणी पर जोर (emphasis) दिया जाता है इसमें वर्षा की मात्रा एवं समय, तापमान में बदलाव, हवा की गति एवं दिशा आदि मुख्य कारक होते है।

3 दीघावधि मौसम पूर्वानुमान:- इसमें मौसम का पूर्वानुमान 10 दिनों से अधिक से लेकर एक ऋतु तक मौसम पूर्वानुमान हो सकता है। इस पूर्वानुमान के अंतर्गत ही प्रत्येक वर्ष अप्रैल तथा जून में मानसून की भविष्‍यवाणी पूर्वानुमान किया जाता है। इस पूर्वानुमान में सांख्‍यिकीय विधि का प्रयोग किया जाता है।



दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान मे मौसम तत्‍वो मुख्‍यतः वर्षा, तापमान का सामान्‍य से संभावित विचलन ही बताया जाता है भारत मे इस विधि से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारत मे ग्रीष्‍मकालीन मानसून तथा शीतकालीन मानसून की भविष्‍यवाणी की जाती है।

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