मानसून पूर्व बर्षा बुन्देलखण्ड़
क्षेत्र के एक बडे क्षेत्रफल में स्थित वायु के गर्म होकर उपर उढ़ने, आसपास में कोई मौसमी विक्षोभ के स्थित होने (200-
300 किलो मीटर् के दाय्ररे में)या चक्रवात के समय बने बादलों के समुह के इस
क्षेत्र में आने से होता है। पर्ंतु इस क्षेत्र् में मानसून से पह्ले की बर्षा
बहुत ही कम मात्रा में होती है ,जिसके कारण , इस क्षेत्र के किसान भाईयों को खरीफ
फसलों के बोवनी हेतु मानसून के आगमन के समय के बाद भी यदि पर्याप्त मात्रा मे
70-100 मिली मीटर बारिश न होने पर खरीफ फसलों के बुवाई हेतु इंतजार किसान भाईयों
को इंतजार करना पडता है, जिससे बुवाई में अक्सर देर होती है ,जिसका प्रभाव फसल के
उत्पादन पर पड़्ता है।
मानसून बारिश में हो
रही कमी के अनेक कारण हो सकते है, जैसे वनों के क्षेत्रफल में हो रही कमी, भूमि
में नमी का ह्रास, ज्यादा चट्टानी भुभाग का पाया जाना। पर्ंतु एक कारण शायद ऐसा है
जिसके तरफ ध्यान कभी हमने दिया नहीं है वह है लगभग समान गुणवाले बडे क्षेत्रफल का होता अभाव । विकास ने शायद
इसमें रुकावट डाल रही हो, जैसे लगभग समान गुणवाले
बडे क्षेत्रफल का विभाजन हो गया हो हमारे
विकास के कारण । वतावरण में हो रही नमी के कमी भी कारण हो सकता है। इसके लिए हमें लगभग
समान गुणवाले बडे क्षेत्रफल का विभाजन को रोकना होगा। मिट्टी वाले हिस्से का डामरीकरण
हो या वनों की क़टाई या जलाशयों का समतलीकरण ,पर पुनः विचार करना पड़ेगा।
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