Wednesday, December 17, 2014

भारत के मध्य भाग में ज़नवरी रहेगी सबसे ठ्ंड़ा

जाड़े के दिनों में सबसे ज्यादा मौसम परिवर्तन लानेवाला होता है पश्चिमी विछोभ होता है। इस बर्ष अभी तह इसके आगमन का इंतजार हो रहा है। इसके आगमन से मौसम गडबड़ाता तो है, परंतु इसके द्वार होने वाले अन्य उग्र मौसम घटना  जैसे पाला का पड़ना, रात के तापमान में अचानक 4 -5 डि.से. तक  गिरावट होना होता है । ये   उग्र मौसम घटनायें फसलों को काफी नुकसान पहुचाती है। इस बार देर से बोये गये चना, समय से पहले बोये गये सरसो तथा मटर ,इससे बच जायेगे ।

अचानक दिन के तापमान समान्य से अधिक होने की संभावना 15 फरवरी के बाद होगी ,जिससे देर से बोई गई गैहू प्रभावित हो सकती है।
आनेवाले पोस्ट मे पढ़ीये कह्ने में फरवरी में इल्ली की प्रकोप ज्यादा रहेगा या कम?

Monday, December 15, 2014

मौसम की जानकारी में है किसानो की समझदारी


वैसे तो  सभी लोगो को मौसम की जानकारी रहती है , पर्ंतु विशेष समय व स्थान में होने वाले  परिवर्तनों की जानकारी यदि मिलती रहे तो इससे किसान सबसे ज्यादा लाभ ले सहते है। और यह काम कठिन नहीं आसान भी है। अपने स्थान के आनेवाले मौसम का ताजा हाल आप  यहां देख सकते  है।
अभी जो आप 2 दिनों से भारत के कई हिस्सों हो रही बारिश का समाचार टी.वी. व समाचार पत्रों में सुन व पढ़ पा रहे है यही जानकारी पब्लिक डोमेन में 4-5 दिनॉ6 पहले से उपलब्ध थी। यदि हमारे किसान भाई इसे जान पाते तो अनावश्यक सिंचाई में कर रहे खर्च से बच सकते थे।
अब कब होगा पुनः ऎसा मौसम जिसका किसान भाई लोग लाभ ले सकेगे तो खोजते रहीये ऎसी जानकारी ,इसमें है समझदारी


कुदरत तेरे खेल निराले 1: दिसंबर में बारिश आखिर क्‍यों?




इस वर्ष दिसंबर का तापमान पिछले वर्षों के औसत की तुलना में ज्‍यादा चल रहा था। कुदरत ने इसे बैलेंस करने के लिए एक Weather System बनाया जिसमें बारिश और बादल का होना जरूरी था। इससे कुदरत ने अब दिन और रात का तापमान औसत के समकक्ष कर दिया।

कुदरत ने अपने बक्‍से में ऐसी कई घटनाएँ रखी हैं, जो असामान्‍य मौसम को लाइन पर लाने के काम आती हैं।